Friday, 18 November 2016

## अंतर !!!


कैसा है ये पैमाना सोच का तेरा,

की दो टूक बात को इस तरह रख दे,
कभी तो आचार तो कभी विचार गलत,
फिर अब देखा तो है अपना समाचार गलत


मौके का फ़ायदा यहाँ सब अपना देख रहे,
नेता भी अक्सर की तरह अपनी रोटी सेंक रहे,
मुश्किल बहोत है फिर भी नतीज़े पे नतीजा,
लोग भी आम इतने की क्या और कुछ भी फेंक रहे।

पत्रकार भी अंग्रेजी हिंदी की चाल बुन रहे,
लोग भी सहूलियत के मुताबिक ही चुन रहे,
नोटबंदी के बीच लोन का नया पन्ना है खुला,
लेकिन लोग माल्या मामले को समझ नही सिर्फ सुन रहे।


अनुरोध है मेरा कि अर्थ-भावार्थ का अंतर समझ लो,
और अलग-२ स्रोतों से जानकारी भी बस महज लो,
अपनी मस्तिष्क का इस्तेमाल भी तो कर ज़रा,
तकलीफ़ें बहोत हैं पर देशहित में फैसला सहज लो।


मीडिया अपने जिम्मेदारी से भटकता दिख रहा,
दिल्ली में भी मोफ्लार वाला बेसोंचे लिख रहा,
ट्विटर को चाहिए की बेबकूफों पे लगाम लगाए,
क्यूंकि सोशल नेटवर्किंग से ही आज का बच्चा सीख रहा।

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