Thursday, 26 October 2017
Tuesday, 17 October 2017
||||||||||||| जागो अब देर हुई... ||||||||||||
गुनाह अपने अंदर ही पड़ा है,
दर्द हम सबके भीतर भरा है,
कैंडल लाइट लिए दौड़ते सब,
हकीकत देख बस मौन खड़ा है,

भीड़ में बोलना आसान होता है,
भीड़ को कुचले वो महान होता है,
जुर्म की समीक्षा करे बड़े चाव से,
देख अपराध मुँह न मोड़ इसी भाव से,
बड़ी-बड़ी बाते तो मैं भी बोलता हुँ,
क्या खबर जरुरत पे इसे कैसे तोलता हुँ,
अंदर अच्छाई लाने का प्रयोजन करो,
पाप पे तुरंत कुछ नियोजन करो,
अपनी खुशी का रखते कुछ शर्त हैं,
गुनाहो में सने रहने का क्या अर्थ है,
पत्थर के सामने वो सर झुकाते हैं,
सजीव का फिर क्यों दिल दुखते हैं,
निर्जीव को पाने बहोत गतिशील रहे,
वास्तविकता में जीने में क्यों शिथिल रहे ||
Wednesday, 11 October 2017
प्यार बाकी है...
की है बहोत ही मिन्नतें पर आखिरी पुकार बाकी है,
मकसद पूरा करने में जाना की, अभी तो प्यार बाकी है।
किसी को बाँध आया हूँ किसी का अंग लाया हूँ,
लांघ के अब सारी दहलीजें खुद को संग लाया हूँ।
नहीं बचा है अब कोई ऐतवार करने को,
उठ चला हूँ बेबजह ही अब वार करने को।
मुस्कुराहटों में क्या कोई तलवार छुप सकेंगी,
नफ़रतों की आँधी भी नही अब रुक सकेंगी।
आगे बढ़ने का हिसाब रूठ जाएगा,
जीने मरने का मिजाज भी टूट जाएगा,
गर बोल गई मेरी खामोशी किसी रोज़,
किस्से से जिन्दगी, जीवन से हर किस्सा भी छूट जाएगा।
कर चुका हूँ बहोत कोशिशें पर अभी हुँकार बाकी है,
चुन लिया नया ही मकसद, नहीं अब प्यार बाकी है।
Friday, 6 October 2017
### गलती नही समाधान ढूंढो ###
सरकार गलत है पुल चौड़ा करने पे बल नही दिया,
तो लोगों ने भी क्यों एक-दूसरे को कुचल ही दिया।
सरकार के विरुद्ध नारे बहोत ही जारी है,
क्या हर बात पे सरकार की ही जिम्मेदारी सारी की सारी है।
कूड़ा इधर-उधर फेकने को मना किया तो मानता कौन है,
छेड़छाड़, बिजली की चोरी पर वही जनता क्यों मौन है।
मुझे पता है मौत की तुलना कूड़े से करने का अर्थ नही है,
कराहते लोगों की मदद नही, वीडियो बनाना भी क्या व्यर्थ नही है।
आजकल लोग मदद को तो नही पर दंगे को तैयार रहते हैं,
सामने कोई मरे उससे मुहँ मोड़ खुदको होशियार कहते हैं।
कांग्रेस, बीजेपी, आम किसी से कोई वास्ता नही रखता हूँ,
सरकार ही नही, गलती पे किसी का भी रास्ता रोक सकता हूँ।
ओर मैं भी नादान अक्सर सिर्फ बोल के रुक जाता हूँ,
अकेला खुद को जान के, बुराई को टोके बिना ही झुक जाता हूँ।
समाज क्यों अपनी संवेदना आजकल खो रहा है,
रोबोट बनाने की जद्दोजहद में मशीन सा ही हो रहा है।
और गलतियां ही नहीं कोई राह ही तो ढूंढो,
अनदेखा नही हर बात को, समाधान भी तो ढूंढो।
#Elphinstone
#mumbaistampede
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