कर दिया क़त्लेआम सरेआम,
क्या गुनाह अभी और बाकी है,
उजड़ गए अब सैकड़ो ही घर,
क्या नियत में खोंट और बाकी है॥
खेल ली होली खून की अब,
क्या तू परेशान अभी और बाकी है,
अब तो रुकेगा सिलसिला ऐसा या,
क्या ये शैतान अभी और बाकी है॥
अब तो पहुँच गया मासूमियत पे,
क्या तेरा मुकाम अभी और बाकी है,
दफ़न हुए, जल चुके लाखों ही अब,
क्या ये ज़मीन अभी और बाकी है॥
रुक गई आंसू की धार कबकी,
क्या तेरा मुहिम अभी और बाकी है,
मासूमियत छीनी, खत्म हुई इन्शानियत,
क्या कोई इंसान अभी और बाकी है॥
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