Wednesday 29 November 2017

विचलित...

ज़माने की रुस्वाई देख,
विचलित हुआ कृतज्ञ हुआ,


स्वतः पतन बर्ताव, विवेक,
मूर्छित हुआ स्थिर हुआ,


लोग एक चेहरे अनेक देख,
भयभीत हुआ निस्तेज हुआ,


अपना मन देख शिथिल अडिग,
परिक्षीण हुआ असमर्थ हुआ,


ऐसी निष्क्रिय स्तिथि देख,
अर्थहीन हुआ गतिहीन हुआ,


जीवन को देख निश्चल शांत,
मंद हुआ पाबंद हुआ,


भीड़ में स्वं को अकेला देख,
धूमिल हुआ तिरस्कृत हुआ,


मृत्यु के देख दावं पेंच,
क्रोधित हुआ धैर्यहीन हुआ...

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