### दिलासा...###

उड़ने को ले आया लिबास नया,
दिखावे से ही करने सबकुछ बयां,
भीतर की कमियों को रख किनारे,
मुश्किलों का सामना कर पाउँगा क्या।
मुकरा भी हूँ कई बार इस राह में,
अंदाज़ा लगा अब नए हिसाब में,
गिरा तो फिर हो गया खड़ा भी,
हार तो कभी जीतने की चाह में।
हिस्सा बना यहाँ हर किसी के दर्द का,
कारण बनके कभी तो कभी बना मर्ज़ सा,
मुमकिन है मेरा अब तो टूट भी जाना,
लेकिन फिर हुआ एहसास मुझे फ़र्ज का।
फिर होके तैयार लेके नयी अभिलाषा,
शामिल हुआ भीड़ में बदलने को परिभाषा,
कभी उड़ा हूँ कभी हूँ तैरा कभी रेंगता सा,
किए ग़ुनाह उड़ने को तो कभी दिया दिलासा।
दामन को साफ़ रखूँ यही है मेरा इरादा,
कोशिश कभी कम तो की कभी है ज्यादा,
क़ाबिल हूँ कब तक इसका पता नहीं,
लेकिन जी जान से जुझुंगा यह भी है वादा।
👍👍👍👍
ReplyDeletethank you very much...
ReplyDelete