Saturday, 26 August 2017

### डेरा सच्चा या कच्चा ...


पाखंड की भक्ति,
पाखंड में शक्ति,

बेमतलब की सोच,
लगाए देश पे खरोंच,

बाबाओं के आसन,
खतरे में है शासन,

उजागर हुआ भोग,
तो क्यों नाराज़ हैं लोग,

डेरा अगर है सच्चा,
तो विश्वास कोर्ट पे क्यों है कच्चा,

बन्द करो तोड़-फोड़,
क्यों दरनदिगी में है होड़,

देश है मेरा महान,
यह कहना है बस आसान।

Friday, 18 August 2017

#### ... इंसान हूँ ... ####

कलम में स्याही बहोत फिर भी खून बहाते हैं,
हक की बातें करने वाले किस मुल्क से आते हैं

छोटी-२ बातें क्यों लहू से बड़ी बन जाती है,
जमीन की लड़ाई के मुद्दे भी फिर तलवार बताती है।

चर्चा हर बात की न्यूज़ वाले हर रोज़ ही देते हैं
गली, मोहल्ले के हालात भी अक्सर ऐसे ही होते हैं

याद करते हैं लोग बहोत सी बात अधूरी सी,
नहीं करते हैं जतन कोई जो हो जरूरी सी

नतीज़े की फिक्र के बिना ही आगे बढ़ जाता हूँ,
मुसीबत सामने देख, खुद को कोषता, पछताता हूँ।

अपना परिचय देना भुला नहीं, अब मैं दे ही देता हूँ,
इंसान हूँ, गलतियां कर करके ही सबक मैं लेता हूँ।