Saturday 22 November 2014

॥॥॥ पैमाना॥॥॥

कोई आदत नही मुझे आशियाना दिखाने की,
कोई ज़िद्द भी नही हालत अपनी समझाने की,
पर की है कोशिश हमेशा तुझे मुस्कुराता देखूं,
तूने ही तमन्ना न रखी कभी मेरे रुक जाने की॥

उम्र बीत जाया करती है बातें समझाने में,
मजा तो जरूर आया होगा मुझे आजमाने में,
काश तेरे पैमाने में खरा उतरता कुछ हद तो,
अब बस कहीं का नही रहा अब इस जमाने में॥

पर मैं कोई वादा नही जिसे बस तोड़ जाओ,
कोई बात भी नही जिसे जब चाहो मरोड जाओ,
मैं एहसास हूँ तेरे हर एक विशवास का बस,
ना हूँ कोई गम जिसे भीड़ में बस छोड़ जाओ॥


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